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यंत्रों की उपयोगिता
यंत्र भारतीय ज्योतिष का अभिन्न अंग हैं। ये वो शक्तिपुंज हैं जिनसे सकारात्मक ऊर्जा पायी जा सकती है। यंत्रों पर बने चिन्ह ईश्वरीय शक्तियों के परिचायक होते हैं, इनके साथ जब विशिष्ट मंत्रों के उच्चारण के साथ ईश्वर से प्रार्थना की जाती है। इन यंत्रों और मंत्रों की स्वर लहरियों के प्रयोग से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और फलस्वरूप इच्छित फल की प्राप्ति शीघ्र होती है।
यंत्र मानव को ईश्वरीय शक्तियों के सम्मुख खड़ा करने के उपकरण हैं। ये हमारे चैतन्य को जागृत करते हैं और एकाग्रता बढ़ाते हैं। इसमें बने चित्र आध्यात्मिक शक्तियों से हमारा साक्षात्कार करवाते हैं। जिससे हममें सफलता के प्रति आग्रह बढ़ता है, ऊर्जा सकारात्मक रूप से हमारे तय लक्ष्यों में काम आती है। और ईश्वरीय आशीर्वाद स्वरूप सफलता, समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य शीघ्र ही मिलते हैं।
विभिन्न ईश्वरीय शक्तियों को पाने के लिए इनकी पूजा और स्थापना की जाती है। कुछ यंत्र विशेष रूप से व्यवसाय में प्रगति के लिए आॅफिस, फैक्ट्री या कार्यस्थल पर स्थापित किए जाते हैं, तो कुछ यंत्र विशेष रूप से पारिवारिक सुख, शान्ति, समृद्धि और समन्वय बढ़ाने के लिए घर में स्थापित किए जाते हैं।
यंत्रों के साथ मंत्रों की उपयोगिता
यंत्र से प्राप्त होने वाले शुभ फलों में इनसे संबंद्ध मंत्रों की भूमिका भी बराबर की है। बिना मंत्रों के यंत्रा उसी तरह बेजान हैं जिस तरह प्राणों के बिना शरीर । इसलिए यंत्रों के साथ साथ मंत्रों की सही जानकारी होना बेहद आवश्यक है। मंत्रों की जानकारी ही काफी नहीं होती बल्कि सही लय ताल के साथ उच्चारण विधि भी जाना बेहद आवश्यक होता है। बिना उच्चारण विधि के मंत्र निष्फल रहते हैं, यथेच्छ लाभ मिल पाना संभव नहीं होता है। इसलिए यंत्रों की स्थापना योग्य व्यक्ति के द्वारा करवाने पर ही पूर्ण लाभ की प्राप्ति होती है।